जीवन जीने की कला का मार्ग दर्शन करता है श्रीमद भागवत-आचार्य स्वामी बालकानंद गिरी
हरिद्वार। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत भवसागर की बैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। भूपतवाला स्थित हरीधाम सनातन सेवा आश्रम ट्रस्ट में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पर श्रद्धालु भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत जीवन दर्शन का ग्रंथ है। जो जीवन जीने की कला का मार्ग दर्शन करता है। भगवान की भक्ति का आदर्श योगेश्वर श्रीकृष्ण की गोपियां हंै। जिन्होंने घर नहीं छोड़ा और स्वधर्म का त्याग भी नहीं किया और ना ही वह वन में गई फिर भी वह भगवान श्री कृष्ण को प्राप्त कर सकी। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति का परमात्मा से साक्षात्कार होता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत ज्ञान एवं वैराग्य को जागृत करने की कथा है। श्रीमद्भागवत के अलावा कोई अन्य ग्रंथ नहीं है जो व्यक्ति को सात दिन में मुक्ति का मार्ग दिखा सके। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में सभी ग्रंथों का सार निहित है और कथा की सार्थकता तभी है कि जब हम इसमें निहित उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात कर उसको अपने व्यवहार में शामिल करें। कथा व्यास आचार्य राजेश कृष्ण ने कहा कि भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक और आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्त करने के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे। आचार्य मनीष जोशी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। इस दौरान स्वामी सत्यानंद गिरी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, नंद किशोर शर्मा, शंभूनाथ नंदलाल अग्रवाल, शरद अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, अमित मित्तल, आशीष झुंझुनवाला, आनंद मित्तल, पिंकी अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।