कुंभ में सफाई बजट खर्च की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करायी जाये-सुरेंद्र तेश्वर
हरिद्वार। कुंभ मेला सफाई मजदूर समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र तेश्वर ने कहा कि कुंभ में सफाई के लिए मिले बजट को कहां खर्च किया जा रहा है। इसकी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करायी जानी चाहिए। सफाई कर्मंचारियों के हितों से खिलवाड़ किया जा रहा है। सफाई कर्मचारियों से अपने अधिकारों के लिए बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए सुरेंद्र तेश्वर ने कहा कि मेला प्रशासन अपनी हटधर्मिता से वर्ष 1998 के कुंभ जैसी स्तिथि पैदा करना चाहता है। इस कुंभ में सफाई के नाम पर जो खेल खेला जा रहा है वह किसी से छिपा नही है। कुम्भ, अर्धकुम्भ के अवसर पर हमेशा ही मेला क्षेत्र को साफ सुथरा बना दिया जाता था। ये पहला मौका है जब इस तरफ मेला प्रशासन का कोई ध्यान नही है। केवल अखाड़ों को खुश किया जा रहा है। मेला क्षेत्र के नाले, नालियाँ कूड़े से अटे पड़े हैं। कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां गन्दगी के ढेर लगे हैं जिस पर किसी का ध्यान नही है। महाशिवरात्रि पर 32 लाख यात्रियों ने गंगा स्नान किया। उत्तराखंड सरकार के नए मानक के अनुसार दस हजार की जनसंख्या पर 20 सफाई कर्मचारी होने चाहिए। उस हिसाब से 11 मार्च के स्नान पर 6400 सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता थी। किन्तु मात्र 200 या 300 कर्मचारी को एक सप्ताह के लिए भर्ती कर इतिश्री कर दी गई। ये पहला अवसर है जब बाहर से लाकर लगाए गए सफाई कर्मियों को कोई आवासीय, खाने व उनकी चिकित्सा आदि की कोई सुविधा नही की गई। इस सम्बंध में कई बार मेला प्रशासन को लिखित व मौखिक रूप से अवगत कराया गया। यहां तक कि तत्कालीन शहरी विकास मंत्री को भी इस संबंध में ज्ञापन दिया गया। लेकिन कोरे आश्वासनों के अलावा धरातल पर कोई काम नही दिखा। कुम्भ, अर्धकुम्भ व अन्य मेलों के अवसर पर जैसी व्यवस्था उत्तर प्रदेश सरकार के समय होती थी। वह आज दूर दूर तक देखने को नही मिलता। वर्तमान समय में जिस सफाई कर्मचारी को 7 दिन के लिए भर्ती किया गया है। उसकी न मस्टरोल पर हाजरी है न उसके वेतन की गारंटी है। आज तक ये पता नही है कि मेला सफाई का असली ठेकेदार कौन है। ऐसी भी जानकारी प्राप्त हुई है कि सफाई कर्मियांे को सात या आठ हजार रुपए प्रति माह के वेतन पर काम करने को विवश किया जा रहा है। आज के हालात में सफाई व सफाई कर्मियों की ओर किसी का ध्यान नही है। अपने हक हकूकों को प्राप्त करने के लिए सफाई कर्मियों को एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए।