स्वामी तेजेश्वानंद गिरी बने भोलानंद सन्यास आश्रम के अध्यक्ष,संतो ने किया स्वागत

 हरिद्वार। स्वामी तेजेश्वानंद गिरी महाराज को श्री श्री भोलानंद सन्यास आश्रम सेवायत श्री श्री ब्रह्मेश्वर शिवठाकुर का अध्यक्ष चुना गया है। लंबे समय से रिक्त चल रहे पद रविवार को आश्रम में संतों की बैठक के दौरान सर्वसम्मति से उन्हें अध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा स्वामी गोपालांनद गिरी सचिव, स्वामी शिवप्रकाशनंद गिरी सह सचिव चुने गए। परमाध्यक्ष चुने जाने के पश्चात संतों ने फूलमाला पहनाकर स्वामी तेजेश्वानंद गिरी का स्वागत किया। आश्रम के अध्यक्ष चुने जाने के पश्चात स्वामी तेजेश्वानंद गिरी महाराज ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संत परंपरा के अनुरूप आश्रम को सेवा के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संतों का जीवन ही परोपकार के लिए समर्पित होता है। गुरु के आशीर्वाद एवं गुरू भाईयों के सहयोग से वें आश्रम की परंपरा का बखूबी निर्वहन करेंगे और अपने कार्यकाल में भी आश्रम की गरिमा के अनुरूप सेवा प्रकल्प को चलाते रहेंगे। देश विदेश में सनातन परंपराओं का प्रचार प्रसार संत महापुरूषों द्वारा किया जाता है। विदेशी भी सनातन संस्कृति के प्रति आदर का भाव रखते हैं। स्वामी तेजेश्वानंद गिरी महाराज ने कहा कि मानव सेवा के प्रकल्प आश्रम अखाड़ों से संचालित होते हैं। निस्वार्थ सेवाभाव से की गयी सेवा ईश्वर भक्ति के समान होती है। श्री श्री भोलानंद सन्यास आश्रम के माध्यम से मानव कल्याण में अनेकों प्रकल्प वर्ष भर चलाए जाते हैं। सचिव गोपालानंद गिरी महाराज ने कहा कि स्वामी तेजेश्वानंद गिरी महाराज हमेशा ही गरीब असहाय निर्धन परिवारों की सेवा में लगे रहते हैं। कहा कि अपनी संस्कृति व सनातन परंपरांओं का निर्वहन ठीक तरीके से किया जाना चाहिए। भारतीय मानवाधिकार मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश गुप्ता ने कहा कि स्वामी तेजेश्वानंद गिरी महाराज तपस्वी व महान संत हैं। उनके नेतृत्व में श्री श्री भोलानंद सन्यास आश्रम सनातन धर्म का प्रमुख केंद्र बनेगा। स्वामी तेजेश्वानंद गिरी महाराज का स्वागत करने वालों में स्वामी निर्बेद्धानंद गिरी, स्वामी निर्मलेद्र सरस्वती, स्वामी सच्चिदानंद पुरी, स्वामी संजय पुरी, स्वामी संतोष महाराज, ब्रह्मचारी प्रदीपानंद, स्वामी अनन्तानन्द गिरी, स्वामी हीरानन्द गिरी, ब्रह्मचारी नन्दगुलाल, स्वामी रामेश्वरानंद गिरी, स्वामी श्रद्धानंद पुरी, स्वामी आत्मशिवा, स्वामी साधनानंद, आनन्द गिरी, आचार्य दीपक डोढरियाल, आचार्य दीपक नौटियाल आदि शामिल रहे।