मौनी अमावस्या के मौके पर लाखों श्रद्वालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

 हरिद्वार। मौनी अमावस्या के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्वालुओं ने कोरोना संक्रमण की आशंकाओं के बीच हर की पैड़ी सहित गंगा के विभिन्न घाटों पर गंगा में डुबकी लगाते हुए सुख-समृद्वि की कामना की। मेला पुलिस की माने तो तीन लाख से अधिक श्रद्वालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। स्नान पर्व को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंताजामात किये गये थे। स्नान पर्व शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ। कुम्भ 2021 की तैयारियों के बीच कोरोना महामारी को लेकर जारी गतिरोध के बावजूद गुरूवार को मौनी अमावस्या पर हर की पैड़ी सहित विभिन्न गंगाघाटों पर लाखों श्रद्वालुओं ने डुबकी लगाई। मन्दिरों में पूजा अर्चना कर अपने परिजनों के लिए सुख-समृद्वि की कामना की। मौनी अमावस्या के मौके पर नारायणी शिला सहित गंगा घाटों पर लोगों ने अपने पितरो के निमृत कर्म-काण्ड सम्पन्न कराये। गुरूवार को हल्के कोहरे, ठंड और हल्की ठंड हवाओं के बीच हरकी पैड़ी समेत सभी गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। कोरोना जेैसी महामारी से बेफ्रिक श्रद्वालुओं के सभी स्नान घाट हर हर महादेव और गंगा मैया के जयकारों से गुंजायमान रहे।

कुम्भ वर्ष में मकर संक्रांति स्नान के बाद यह दूसरा बड़ा स्नान पर्व है। श्रद्वालु मौन रहकर गंगा स्नान कर मौनी अमावस्या के व्रत का पालन कर रहे हैं। माना जाता है कि इस दिन मौन रखकर व्रत का पालन करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।  मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए तड़के से ही श्रद्धालु हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड सहित सभी गंगा स्नानघाटों पर पहुंचना शुरू हो गए थे। कोरोना संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार राज्य सरकार के निर्देशों के अनुपालन में जिला प्रशासन ने कड़ी व्यवस्था की थी। साथ ही  श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी के साथ-साथ मास्क के अनिवार्य प्रयोग के लिए लगातार कहा जा रहा था। प्रशासन ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड-19 संक्रमण की आरटीपीसीआर जांच की जा रही थी। हालांकि, पिछले वर्षों के मौनी अमावस्या स्नान पर्व की तुलना में इस बार भीड़ काफी कम है पर, कोरोना संक्रमण और सरकारी गाइडलाइन के अनुपालन को लेकर भीड़ के एकदम नहीं आने की आशंका निर्मूल साबित हुई। हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड सहित सभी स्नान घाटों पर भारी सिल्ट युक्त पानी होने के कारण श्रद्धालुओं को स्नान-ध्यान के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा। नहर में सिल्ट होने के कारण पानी की मात्रा भी काफी कम होने से श्रद्धालुओं को स्नान के दौरान डुबकी लगाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।