केशव चैतन्य बने श्रीमहंत देवानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी

 हरिद्वार। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के पूर्व राष्ट्रीय सचिव श्रीमंहत देवानंद सरस्वती ने कहा कि शिष्य ही गुरु परम्परा को आगे बढाते है और गुरु ही शिष्य को महान बनाता है। कहा कि गुरु अपने सम्पूर्ण जीवन की आध्यात्मिक और सांसारिक पूंजी अपने शिष्य को प्रदान कर उसे अपना ही रूप दे कर अपने स्थान पर सुशोभित करते है। यही सन्यास परम्परा है। यह बातें देवानंद सरस्वती ने भूपतवाला स्थित रानी गली स्थित सर्वेश्वर आश्रम में शिष्य केशव चैतन्य के तिलक समारोह में कहीं। रविवार को भूपतवाला स्थित रानी गली स्थित सर्वेश्वर आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सर्वेश्वरानंद ने संतजनो की उपस्थित में अपने शिष्य केशव चैतन्य को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। साथ ही सहयोगी के रूप में साध्वी राज गिरी को नियुक्त किया। इस अवसर पर तिलक चादर विधि समारोह का आयोजन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज की अध्यक्षता और श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के पूर्व राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज के संचालन में आयोजित किया गया। पार्षद अनिल मिश्रा ने कहा कि स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज धर्म और अध्यात्म की प्रति मूर्ति हैं। उन्होने अपने जीवन काल में संत केशव चैतन्य को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर एक अनुकरणीय कार्य किया है। संत समाज केशव चैतन्य को अपना आशीर्वाद प्रदान करता है। पार्षद अनिरुद्ध भाटी ने कहा कि आशीर्वचन में कहा कि गुरू और शिष्य एक दूसरे के पूरक हैं गुरु के प्रति निष्ठावान शिष्य ही गुरु के आशीर्वाद का अधिकारी होता है। कार्यक्रम में उपस्थित जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्री महंत विनोद गिरी , महंत ललिता नंदगिरी, साध्वी राज गिरी जी साध्वी राज गिरी,  महंत योगेश्वरानंद सरस्वती, गुरु माता सिंह, संत गुरु माता सिंह, महंत राघव आनंद सरस्वती, महंत जागीर दास, महंत राम सेवक दास, महंत रविंद्र तथा पार्षद प्रतिनिधि विदित शर्मा ,रितेश वशिष्ठ, राम विनोद, राम स्नेही भीमसेन ,गुरबख्श सिंह शिवदास दुबे, रामअवतार शर्मा ,सुरेश गोयल, कैलाशानंद, दिव्यम आदि शामिल रहे।