ब्रम्हलीन संत स्वामी गीतानन्द महाराज की सोलवीं पुण्यतिथि श्रद्धा पूर्वक मनाई गई

वृंदावन। ब्रम्हलीन संत स्वामी गीतानन्द महाराज की षोडश पुण्य तिथि के अवसर पर ब्रम्हलीन संत स्वामी गीतानन्द महाराज द्वारा शुरू किया गया अन्नक्षेत्र कोरोनावायरस के संक्रमण के समय भजनानन्दी साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए बन गया है उदरपूर्ति का साधन परोपकार एवं सेवा का आदर्श प्रस्तुत किया। महान ब्रम्हलीन संत स्वामी गीतानन्द महराज ने कारगिल युद्ध के दौरान राष्ट्ररक्षा कोष के लिए इस पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को 11 लाख रूपए की धनराशि भेंट की थी। राधारानी की नगरी वृन्दावन में गीता के प्रकाण्ड विद्वान, परोपकार का आदर्श उपस्थित करनेवाले ऐसे परम तपस्वी, ब्रम्हलीन संत स्वामी गीतानन्द महराज की षोडस पुण्य तिथि मनाई गई है। स्वामी गीतानंद महाराज के अनन्य शिष्य डॉक्टर  स्वामी अवधेशानंद महाराज ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु जी के द्वारा गीता आश्रम वृन्दावन में शुरू किया गया अन्न क्षेत्र कोरोनावायरस के संक्रमण के दौरान  भजनानन्दी साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए वरदान बन गया है। वैसे तो लगभग तीन दशक से अधिक समय से इस आश्रम में भजनानन्दी साधुओ के लिए अन्न क्षेत्र चलाकर उनके नित्य भोजन की व्यवस्था लगातार की जा रही है पर लाक डाउन के समय से तो यह तीर्थयात्रियों के लिए भी उदरपूर्ति का सहारा बना हुआ है। इतिहास साक्षी है कि वृन्दावन की पावन धरती तपस्वी संतो के लिए चुम्बक का काम करती रही है। स्वामी हरिदास, प्रभु  बल्लभाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, देवरहा बाबा, आनन्दमई मां, बाबा चन्दमादास, श्रीपाद बाबा, स्वामी वामदेव महराज, हरिमिलापी जी महाराज, स्वामी लीलानन्द ठाकुर  जैसे महान तपस्वियों ने यहां आकर विभिन्न प्रकार के कार्य किये। किसी ने धर्म क्षेत्र चुना तो किसी ने दान का क्षेत्र, किसी ने चिकित्सा का क्षेत्र चुना तो किसी ने शिक्षा का क्षेत्र चुना किंतु स्वामी गीतानन्द महराज ने इन सभी क्षेत्रों में कार्य कर समाज के हर क्षेत्र की सेवा कर स्वयं  ’’भिक्षु ’’ कहलाना ही पसन्द किया।