81 वर्षीय स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर संतो ने दी श्रद्वांजलि
हरिद्वार। चेतनानन्द गिरी आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने पर संत समाज में शोक की लहर दौड़ गयी। 81 वर्षीय ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। सन्यास रोड़ स्थित चेतनानन्द गिरी आश्रम में उन्हें संत समाज के सानिध्य में भूसमाधि दी गयी। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर म.म.स्वामी कैलाशानंद गिरी ब्रह्मचारी महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। समाज कल्याण के लिए उनकी आत्माएं सदैव व्यवहारिक रूप से उपस्थित रहती हैं। ब्रह्मलीन विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज एक तपस्वी संत थे। जिन्होंने समाज का मार्गदर्शन कर एक नयी दिशा प्रदान की। राष्ट्र कल्याण में उनका अहम योगदान भुलाया नहीं जा सकता। निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामण्डलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानन्द गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द महाराज त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपने जीवनकाल में सदैव गरीब असहाय लोगों की मदद कर समाज कल्याण में अपना योगदान प्रदान किया। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द महाराज एक महान संत थे। जो अपनी सरल भाषा व मधुर व्यवहार के लिए जाने जाते थे। स्वामी कृष्णानन्द गिरी महाराज व स्वामी रामानन्द गिरी महाराज ने कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज एक तपस्वी संत थे। जिन्होंने गंगा तट से अनेकों सेवा प्रकल्प चलाकर संत समाज एवं मानवता की सेवा की। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी व विश्नोई आश्रम के परमाध्यक्ष म.म.स्वामी राजेंद्रानन्द महाराज ने कहा कि संत समाज के प्रेरणास्रोत स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज के ब्रह्मलीन होने से संत समाज को अपूर्णीय क्षति हुई हैं। सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र व समाज कल्याण में अपना योगदान देना चाहिए। भूसमाधि के दौरान स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, स्वामी राजेंद्रानन्द, महंत भरत गिरी, हनुमान बाबा, म.म.स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती, स्वामी विश्वस्वरूपानंद, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेशदास, स्वामी वेदानन्द, स्वामी दिव्यानन्द, महंत निर्मल दास, महंत दर्शनदास, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, महंत प्रेमदास, महंत संगमपुरी, स्वामी ऋषि रामकिशन, महंत शिवशंकर गिरी, महंत रामरतन गिरी, महंत लखनगिरी, स्वामी रघुवन, स्वामी रवि वन, महंज जसवेंद्र सिंह, स्वामी कपिल मुनि, महंत गंगादास उदासीन ने ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज को श्रद्धांजलि दी।