वेद पुराणों में निपुण व्यक्ति ईश्वर का वरदान है>डा0रमेश पोखरियाल निशंक

हरिद्वार। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद है। यह हम सबका सौभाग्य है कि उत्तराखंड की भूमि में वेदों, पुराणों, उपनिशदों एवं आयुर्वेद का जन्म हुआ है। मनुष्य ईश्वर की सुन्दरत्म कृति है, वेद पुराणों में निपुण व्यक्ति ईश्वर का वरदान है। शनिवार को उत्तराखंड संस्कृत विवि में आयोजित अखिल भारतीय वैदिक संगोष्ठी के समापन अवसर पर उन्होंने कहा कि मनुष्य चाहे संसार में सब कुछ प्राप्त कर ले, लेकिन उसके सभी रास्ते वेद पर आकर पहुंचते हैं। इसलिए दुनिया में वेद के ज्ञान को बिखेरने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया वर्तमान में अनेक संकटों से जूझ रही है, वेदों का सही रूप में प्रचार-प्रसार हो जाए तो उन सभी संकटों का समाधान वेद के ज्ञान से हो सकता है। वेदों को विज्ञान से जोड़ने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह पिछले दिनों में विश्व के अनेक देशों में गए, दूसरे देशों के कई विद्वानों ने जब वेद को विज्ञान के साथ जोड़कर दिखाया तो वह आश्चर्य में पड़ गए कि दुनिया के लोग वेदों का अनुसरण कर रहे हैं। डॉ. निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति जल्दी ही आने वाली है, शिक्षा नीति में हम वेद की बातों को समाहित कर सकें ऐसी हमारी कोशिश है। कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि वेद ऐसी विद्या है जिसका अध्ययन करने से निश्चय ही व्यक्ति को समाधान मिलते हैं, उस विद्या का कोई महत्व नहीं होता जो दूसरों को लाभ न दे सके। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली के कुलपति, डॉ. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि विद्या का मार्ग वेद से प्रारंभ होता है, यही विद्या धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाली है। विवि के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने अखिल भारतीय वैदिक संगोष्ठी में आए हुए सभी अतिथियों का आभार जताया। संगोष्ठी में संस्कृत शिक्षा सचिव विनोद प्रसाद रतूडी, प्रो. वीरूपाक्ष वी जड्डी पाल, संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो प्रेमचंद्र शास्त्री, प्रो. पी. एसएच राव आदि ने भी विचार रखे। संगोष्ठी का सार संयोजक डॉ. अरुण कुमार मिश्र ने प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. कंचन तिवारी ने किया।