विश्व में अद्वितीय है भारत की संस्कृति और सैन्य बल-स्वामी विज्ञानानंद
हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि भारत की संस्कृति और सैन्य बल विश्व में अद्वितीय है। 5हजार वर्ष पूर्व भारत का नाम हिमवर्ष था। बाद में आर्यावर्त,जम्मू द्वीप,भारतखंड और अब भारतवर्ष है। 14 विभाजन झेलने के बाद भी भारत की विश्व में अलग पहचान है।विष्णु गार्डन स्थित गीता विज्ञान आश्रम में गुरु पूर्णिमा उत्सव की तैयारी के संबंध में आयोजित ट्रस्टी,भक्तों एवं अनुयायियों की संयुक्त बैठक के दौरान धर्म सत्ता को संतुष्ट कर राष्ट्र को महान बनाने का आवाहन करते हुए स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि विघटन और विभाजन के माध्यम से कई बार भारत को कमजोर करने का प्रयास किया गया।लेकिन दैवीय शक्ति संपन्न भारत उत्तरोत्तर उन्नति की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान,बांग्लादेश,श्रीलंका,नेपाल, भूटान,म्यांमार,अफगानिस्तान,तिब्बत,ईरान,थाईलैंड,कंबोडिया,इंडोनेशिया,मलेशिया और वियतनाम यह सभी अखंड भारत का हिस्सा रहे हैं। भारत से अलग होने के बाद कई देश इस्लामिक कंट्री बने तो कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। भारत में हुए विभाजन और उनके कारणों को विस्तार पूर्वक समझाते हुए उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सर्वाधिक उदार एवं समतावादी राष्ट्र है।जो सर्वे भवंतु सुखिनः की कामना के साथ किसी का भी दिल नहीं दुखाता है। बल्कि यथा संभव सहायता ही करता है। स्वतंत्र भारत में अब तक सत्ता में रहे सभी राजनेताओं को देशभक्त बताते हुए उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में सभी राजनेता राष्ट्र हित में एकजुट होकर सत्ता को संबल प्रदान करते हैं। आगामी 10 जुलाई को आयोजित होने वाले गुरु पूर्णिमा उत्सव में भारत की अखंडता एवं राष्ट्र सेवा के लिए प्रारंभ होने वाले नए सेवा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में देश,राज्य या जनपद किसी का भी विभाजन नहीं होने दिया जाएगा।