हमारा संविधान-हमारा स्वाभिमान कार्यक्रम का आयोजन
’’हमारा संविधान-हमारा सम्मान’’कृति,लघु फिल्म और न्याय विभाग-2025 कलैंडर का विमोचन
हरिद्वार/प्रयागराज। महाकुम्भ के दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर में न्याय विभाग द्वारा‘हमारा संविधान-हमारा स्वाभिमान’’कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में परमार्थ निकेतन अध्यक्ष,स्वामी चिदानन्द सरस्वती,केन्द्रीय कानूनमंत्री,अर्जुन राम मेघवाल,अध्यक्ष ,डिवाइन शक्ति फाउंडेशन,डा.साध्वी भगवती सरस्वती,न्याय विभाग के अधिकारी,लॉ और विधि के विद्यार्थी और अनेक विशिष्ट अतिथियों का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम समावेशिता,समता और समानता का संदेश पूरे विश्व को दे रहा है। सेक्रेटरी,न्याय विभाग,आर के गोयल ने सभी विशिष्ट अतिथियों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह आयोजन संविधान में निहित मूल्यों के प्रति हमें जागरूक करता है।एक वर्ष पहले हमने इस कार्यक्रम की शुरूआत की थी और आज महाकुम्भ के अवसर पर आयोजित यह कार्यक्रम एक सफल वर्ष के पूर्ण होने का प्रतीक है।इस बार का महाकुम्भ मेला बहुत महत्व है क्योंकि यह मेला हमारे संविधान में निहित शाश्वत संबंधों को उजागर कर रहा है। कानून मंत्री,अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन तिरंगे को राष्ट्र ध्वज के रूप में स्वीकार किया था। तिरंगे के तीन रंग केसरिया रंग साहस,वीरता और बलिदान का प्रतीक है,जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हुए वीरों और बलिदानियों की याद दिलाता है। सफेद रंग,शांति,सत्य और अहिंसा का प्रतीक है। यह महात्मा गांधी के सिद्धांतों और भारतीय समाज में शांति की आवश्यकता को दर्शाता है। यह रंग भारतीय समाज में सामूहिक एकता और भाईचारे को भी दर्शाता है। हरा रंग,प्रगति,समृद्धि और कृषि का प्रतीक है। यह देश की हरी-भरी भूमि और किसानों की कड़ी मेहनत को दर्शाता है,यह रंग प्राकृतिक संपत्ति और पर्यावरण के प्रति सम्मान को भी दर्शाता है।तिरंगे के मध्य में नील चक्र भी होता है,जो धर्मचक्र के रूप में हैं और यह समय और निरंतरता का प्रतीक है।इसमें 24तिल्लियाँ हैं जो 24गुणों यथासंयम, स्वास्थ्य ,शान्ति ,त्याग,शील,सेवा,क्षमा,प्रेम,मैत्री,बंधुत्व,संगठन,कल्याण,समृद्धि,उद्योग,सुरक्षा,नियम,क्षमता,अर्थ,नीति,न्याय,सहकार,सहकारिता,कर्तव्य और बुद्धिमŸाा को आत्मसात करने का संदेश देता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि संगम के इस पावन तट पर आज इस देश के संगम को देखना का अवसर प्राप्त हो रहा है। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर दिखाया। स्वामी जी ने कहा कि जब जीवन राष्ट्र को समर्पित होता है तो हम वेतन के लिये नहीं बल्कि वतन के लिये कार्य करते हैं। जब वतन के लिये कार्य करते हैं तो संविधान बचा रहता है।हमारा संविधान ही हमारा स्वाभिमान है जो हमें शिक्षा देता है कि न हम बटेंगे न बाटेंगे,न हम कटेंगे न काटेंगे,न हम लड़ेंगे न लड़ायेंगे।भारत का संविधान भारत की आत्मा है,जो लोकतंत्र,समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है। हमारा संविधान,सब समान,सब का सम्मान का संदेश देता है। हमें एकता,सौहार्द्रता और समरसता का संगम बनाये रखने के लिये दिलों को जोड़ना होगा और संविधान की मर्यादा में रहना होगा। डा.साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि मैने पूरे विश्व में कोई ऐसा देश नहीं देखा जो वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनःका बात करता हैं।संविधान हमारे राष्ट्र का स्तंभ है। सेक्रेटरी,न्याय विभाग आर के गोयल ने स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेंट कर सभी विभिष्ट अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया।ज्वाइन सेक्रेटरी,न्याय विभाग नीरज गोयल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।