हरिद्वार। ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी विष्णुदेव महाराज की 12वीं पुण्यतिथि श्रवणनाथ नगर स्थित तारकेश्वर धाम आश्रम में गौगंगाधाम सेवा ट्रस्ट के स्वामी निर्मल दास महाराज के संयोजन में समारोह पूर्वक मनायी गयी। समारोह में सभी तेरह अखाड़ो के संतों ने ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज तपस्वी संत थे। समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि गुरू के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखने वाले शिष्य ही गुरू की कीर्ति बढ़ाते हैं। स्वामी निर्मलदास महाराज जिस प्रकार अपने गुरूदेव की सेवा संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। उनकी पुण्यतिथी पर उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव सेवा का संकल्प लेना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए स्वामी निर्मदास महाराज ने कहा कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज धर्मशास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान थे। गुरूदेव के दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके अधूरे कार्यो को पूरा करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। इस अवसर पर स्वामी हरिचेतनानंद,स्वामी संतोषानंद,स्वामी शिवानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री,महंत विष्णुदास,महंत धर्मदास ,महंत कन्हैयादास,स्वामी श्रवण मुनि,महंत दुर्गादास,महंत मोहन सिंह,महंत तीरथ सिंह,महंत प्रह्लाद दास,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,स्वामी दिनेश दास,महंत कपिल मुनि,महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरज दास सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।
तपस्वी संत थे ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज-स्वामी हरिचेतनानंद
हरिद्वार। ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी विष्णुदेव महाराज की 12वीं पुण्यतिथि श्रवणनाथ नगर स्थित तारकेश्वर धाम आश्रम में गौगंगाधाम सेवा ट्रस्ट के स्वामी निर्मल दास महाराज के संयोजन में समारोह पूर्वक मनायी गयी। समारोह में सभी तेरह अखाड़ो के संतों ने ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज तपस्वी संत थे। समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि गुरू के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखने वाले शिष्य ही गुरू की कीर्ति बढ़ाते हैं। स्वामी निर्मलदास महाराज जिस प्रकार अपने गुरूदेव की सेवा संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। उनकी पुण्यतिथी पर उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव सेवा का संकल्प लेना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए स्वामी निर्मदास महाराज ने कहा कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज धर्मशास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान थे। गुरूदेव के दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके अधूरे कार्यो को पूरा करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। इस अवसर पर स्वामी हरिचेतनानंद,स्वामी संतोषानंद,स्वामी शिवानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री,महंत विष्णुदास,महंत धर्मदास ,महंत कन्हैयादास,स्वामी श्रवण मुनि,महंत दुर्गादास,महंत मोहन सिंह,महंत तीरथ सिंह,महंत प्रह्लाद दास,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,स्वामी दिनेश दास,महंत कपिल मुनि,महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरज दास सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।