हरिद्वार। श्रीराधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में रामनगर कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने दान की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि जो दान देश,काल एवं पात्र को ध्यान में रख कर दिया जाए,वही दान सात्त्विक होता है। देश,काल और पात्र का विचार करके ही दान दिया जाना चाहिए। मैंने दान दिया, कोई मेरा उपकार मान ले या मुझे मान-सम्मान मिले,इस प्रवृत्ति से दान नहीं करना चाहिए। भगवान ने मुझे दिया है,उसी को समर्पण कर रहा हूँ। जैसे भागवत् कथा होती हैं तो कुछ कार्यकर्ताओं को प्रसाद वितरण का कार्य सौंपा जाता हैं। वह प्रसाद वितरण कर किसी पर उपकार नहीं कर रहे हैं। उसे अपना कर्त्तव्य समझकर उसका पालन कर रहे हैं,इससे उसकी अपेक्षा नहीं है। उसी प्रकार भगवान ने हमें जो बल, बुद्धि और धन दिया है,कर्त्तव्य समझ कर इससे दूसरो की सेवा करें। भगवान ने दान देना मनुष्य का कर्त्तव्य बताया है। इसे त्याग समझने का आदेश नहीं दिया है। वृहस्पति नीति में अपनी आय का दस प्रतिशत दान और शुक्र नीति में अपनी आय का बीस प्रतिशत दान का विधान हैं। दान हमेशा सत् पात्र को देना चाहिए। सत् पात्र वह होता है जो लिए गए दान का उपयोग अच्छे कार्यों में करता है। कुपात्र को किया गया दान दान देने वाले को नर्क में ले जाता है। रिशु गोयल,किरण शर्मा,डा.अनिल भट्ट,वीना धवन,शांति दर्गन,रिंकू शर्मा,महेंद्र शर्मा, रुद्राक्ष भट्ट,रिंकी भट्ट,विमला देवी भट्ट,पंडित गणेश कोठारी,रीना जोशी,मोनिका बिश्नोई,पूर्व पार्षद रेणु अरोड़ा,दीप्ति भारद्वाज,रीना जोशी,हर्ष ब्रह्म,अन्नू शर्मा,सुष त्यागी,मधु इलाहाबादी,सारिका जोशी,भावना खुराना,शिमला उपाध्याय,सुमन चौहान आदि ने भागवत पूजन किया।
देश, काल और पात्र को ध्यान में रखकर दिया जाना चाहिए दान-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री