हनुमान के बगैर न तो राम हैं और न रामायण-डा.रामविलास दास वेदांती


 हरिद्वार। कथाव्यास डा.रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा कि हनुमानजी को राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। हनुमान सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं। हनुमान के बगैर न तो राम हैं और न रामायण। कहते हैं कि दुनिया चले न श्रीराम के बिना और रामजी चले न हनुमान के बिना। रामराज्य की संकल्पना को लेकर वशिष्ठ भवन धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में प्रेमनगर आश्रम में आयोजित संगीतमयी श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा में कथा व्यास महंत डा.रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा कि वन में रावण की बहन सुपनखा राम-लक्ष्मण को देखकर मोहित हो गई और शादी करने के लिए दवाब बनाने लगी। मना करने पर सीता पर हमला कर दिया। क्रोधित लक्ष्मण ने सुपनखा की नाक काट दी। मदद के लिए सुपनखा खर- दूषण के पास गई। जिन्हें राम-लक्ष्मण ने मार दिया। यह घटना सुपनखा ने रावण को बताई। बहन के अपमान से क्रोधित रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया। कथा व्यास ने कहा जब रावण पंचवटी से माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका ले उड़ा। तब राम और लक्ष्मण जंगलों की खाक छानते हुए माता सीता की खोज कर रहे थे। ऐसे कई मौके आए जब उन्हें हताशा और निराशा हाथ लगी। इस दौरान कई घटनाएं घटीं। एक और जहां सीता की खोज में राम वन-वन भटक रहे थे तो दूसरी और किष्किंधा के दो वानरराज भाइयों बाली और सुग्रीव के बीच युद्ध हुआ और सुग्रीव को भागकर ऋष्यमूक पर्वत की एक गुफा में छिपना पड़ा। इस क्षेत्र में ही एक अंजनी पर्वत पर हनुमान के पिता का भी राज था, जहां हनुमानजी रहते थे। सीता को खोजते हुए जब श्रीराम-लक्ष्मण ऋक्यमूक पर्वत पहूंचे, तो सुग्रीव डर गया। वह भागते हुए हनुमान के पास गया और कहने लगा कि हमारी जान को खतरा है। सुग्रीव को लग रहा था कि कहीं यह बाली के भेजे हुए तो नहीं हैं। सुग्रीव ने हनुमानजी से कहा कि तुम ब्रह्मचारी का रूप धारण करके उनके समक्ष जाओ और उसके हृदय की बात जानकर मुझे इशारे से बताओ। यदि वे बाली के भेजे हुए हैं तो मैं तुरंत ही यहां से कहीं ओर भाग जाऊंगा। सुग्रीव की बातें सुनकर हनुमानजी ब्राह्मण का रूप धरकर वहां गए और मस्तक नवाकर विनम्रता से राम और लक्ष्मण से पूछने लगे। हे वीर सांवले और गोरे शरीर वाले आप कौन हैं, जो क्षत्रिय के रूप में वन में फिर रहे हैं। हे स्वामी कठोर भूमि पर कोमल चरणों से चलने वाले आप किस कारण वन में विचर रहे हैं। हनुमान ने आगे कहा-मन को हरण करने वाले आपके सुंदर,कोमल अंग हैं और आप वन की दुःसह धूप और वायु को सह रहे हैं। क्या आप ब्रह्मा,विष्णु,महेश इन तीन देवताओं में से कोई हैं या आप दोनों नर और नारायण हैं। श्रीरामचंद्र ने कहा-हम कोसलराज दशरथ के पुत्र हैं और पिता का वचन मानकर वन आए हैं। हमारे राम-लक्ष्मण नाम हैं, हम दोनों भाई हैं। हमारे साथ सुंदर सुकुमारी स्त्री थी। यहां वन में राक्षस ने मेरी पत्नी जानकी को हर लिया। हे ब्राह्मण हम उसे ही खोजते फिरते हैं। हमने तो अपना चरित्र कह सुनाया। अब हे ब्राह्मण आप अपनी कथा कहिए, आप कौन हैं। प्रभु को पहचानकर हनुमान ने अपना असली शरीर प्रकट कर दिया। उनके हृदय में प्रेम छा गया, तब श्री रघुनाथजी ने उन्हें उठाकर हृदय से लगा लिया और अपने नेत्रों के जल से सींचकर शीतल किया। हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद जिस रोज भगवान राम ने बाली का वध किया था। तब आषाढ़ मास की अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण था। कथा में प्रेमनगर आश्रम के प्रबंधक पवन भाई,वृंदावन टैंट हाउस के स्वामी मनोज अग्रवाल,वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विभाष मिश्रा,महामंडलेश्वर डा.स्वामी संतोषानंद देव महाराज,रविदेव शास्त्री,दिनेश शास्त्री,स्वामी गणेश नाथ,स्वामी गोविंददास,प.विनय मिश्र,भाजपा जिलाध्यक्ष संदीप गोयल,आस्था सैनी हेल्थ फाउंडेशन के अध्यक्ष अमित सैनी,राजकुमार खत्री,विश्वास सक्सेना,डा.जितेंद्र सिंह,कुलदीप सैनी,अर्जुन शर्मा,राजेन्द्र धीमान,पंकज चौधरी,संजय वर्मा,कथा संयोजक सुनील सिंह,सीए आशुतोष पांडेय,वरूण कुमार सिंह,मुरारी पांडेय,अमित गोयल,अमित साही,वरूण शुक्ला,रूपलाल यादव,दिलीप कुमार झा,अजीत कुशवाहा,प्रमोद यादव,गुलाब यादव सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें।