गोस्वामी तुलसीदास की शिक्षाएं ही समाज में व्याप्त जातिवाद जैसी कुरीतियों को दूर कर सकती है -श्रीमहंत विष्णु दास
श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल के तत्वावधान में धूमधाम से मनायी गयी तुलसीदास जयंती
हरिद्वार। श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल के तत्वावधान में गोस्वामी तुलसीदास की 526वीं जयंती धूमधाम से मनायी गयी। इस अवसर पर रामानंदीय वैष्णव मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत विष्णु दास महाराज एवं श्रीरामानंद आश्रम के महामंडलेश्वर महंत प्रेमदास महाराज के सानिध्य में श्रवणनाथ नगर स्थित श्रीरामानंद आश्रम से मायापुर स्थित तुलसी चौक शोभायात्रा निकाली गयी और संत मंहतों ने तुलसी चौक पर गोस्वामी तुलसीदास की प्रतिमा पर माल्यापर्ण व पूजा अर्चना कर सभी को तुलसी जयंती की शुभकामनाएं दी। तुलसी जयंती के अवसर पर रामानंदीय वैष्ण मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने आर्थिक रूप से कमजोर एक छात्र और एक छात्रा को पढ़ाई के लिए 11-11 हजार रूपए की सहायता भी प्रदान की। श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि रामचरित मानस जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसी दास की शिक्षाएं ही समाज में व्याप्त जातिवाद जैसी कुरीतियों को दूर कर सकती है। रामचरित मानस में शबरी के हाथों राम को बेर खिलाने व राम के भील को गले लगाने के प्रसंग से तुलसीदास ने इसका स्पष्ट संदेश दिया है कि भारतीय समाज में जातिवाद जैसी बुराई के लिए कभी कोई स्थान नहीं रहा है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि रामचरित मानस के माध्यम से मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने वाले गोस्वामी तुलसीदास को प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे। उन्हें प्रभु श्रीराम की शक्ति एवं सामर्थ्य पर पूरा विश्वास था। कथावाचक स्वामी चिन्मयानंद बापू महाराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना कर समाज को भक्ति का जो संदेश दिया,वह आज भी सार्थक है। बाबा हठयोगी ने कहा कि तुलसीदास ने रामचरित मानस के रूप में अमृत रूपी राम कथा प्रदान कर संसार को धन्य कर दिया। प्रभु श्रीराम के प्रति गोस्वामी तुलसीदास की अटूट भक्ति सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। महंत प्रेमदास, महंत गोविंददास,महंत जयराम दास एवं महंत प्रमोद दास ने फूलमाला पहनाकर सभी संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर महंत प्रेमदास,महंत रघुवीर दास,महंत सूरज दास, महंत गोविंददास,महंत बिहारी शरण,महंत दुर्गादास, महंत नारायण दास पटवारी,महंत प्रह्लाद दास,स्वामी दिनेश दास,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,महंत नवल किशोर दास, महंत गोविंददास,महंत राघवेंद्र दास,महंत रामलखन दास,संत हरिदास,महंत राजेंद्रदास,महंत प्रमोद दास, महंत अंकित शरण सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।