सीमा को सुरक्षित रखने के लिए पलायन रोकना जरूरी,बढ़ाये चिकित्सा,शिक्षा-श्रीमहंत हरिगिरी


 हरिद्वार। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी ने कहा कि देश की सीमा को सुरक्षित बनाये रखने के लिए उत्तराखण्ड के सीमावर्ती गांवों,जनपदों से पलायन रोकना जरूरी है। उन्होने कहा कि पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती गांवों में शिक्षा,चिकित्सा की व्यवस्था जनसहयोग से किया जायेगा। इस सम्बन्ध उन्होने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है। गुरूवार को जूना अखाड़ा परिसर में पत्रकारों से वार्ता करते हुए श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा कि सरकार को उत्तराखंड की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत बनाये रखने के लिए तेजी से जारी पलायन को रोकना होगा। इसके लिए नेता और संतों को मिलकर वो तमाम बुनायदी सुविधाएं राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में जुटानी होंगी, जिससे पलायन रूक सके। श्रीमहंत हरि गिरी ने कहा कि उन्होंने पलायन रोकने को लेकर सुझावों के साथ एक पत्र केंद्रीय गृह मंत्री को भेजा है। पर्वतीय क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पहाड़ खाली हो रहे है। पलायन को रोकने के लिए मेडिकल कॉलेज, उच्च शिक्षा हेतु विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। कहा कि सरकार को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए जिससे स्थानीय पारंपरिक उद्योग, काम-धंधों के प्रति आर्कषित हों। कहा कि शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते उत्तराखंड में वर्ग विशेष समुदाय के लोग हावी होते जा रहे है। यह लोग औने पौने दामों में जमीने खरीद कर अपना वर्चस्व स्थापित करते जा रहे है। कहा कि एक षड़यंत्र के तहत स्थानीय लोगों की संपत्तियां खरीदकर बाहरी लोगों को बसाया जा रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। पत्र की प्रति प्रधानमंत्री को भी भेजी गई है। उत्तराखंड से पलायन रोकने में सबसे महत्वपूर्ण यहां के विधायक, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों को अपने चुनावी क्षेत्रों में स्थायी रूप से निवास किया जाना बहुत जरूरी है। यह चिंता का विषय है कि राजनेता जनप्रतिनिधि बनते ही अपने पर्वतीय इलाकों में बने निवास को छोड़कर मैदानी जनपदों में रहने लगते हैं। इससे भी पलायन को बढ़ावा मिलता है। जनप्रतिनिधियों को क्षेत्र में निवास कर लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। इस दौरान निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज भी मौजूद रहे।