अखाड़ा परिषद हुई दो फाड़,सन्यासी अखाड़े के श्रीमहंत रविन्द्रपुरी बने अध्यक्ष,

बैष्णव अखाड़े के महंत राजेन्द्र महामंत्री,सात अखाड़ो की बैठक में चुनाव होने का दावा


 हरिद्वार। कुम्भ मेला 2021 के दौरान से चली आ रही तनातनी एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद आखिरकार अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो गयी हैं। तीन बैरागी,तीन उदासीन एवं एक सन्यासी अखाड़ो यानि सात अखाड़ों ने मिलकर महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्रपुरी महाराज को अध्यक्ष तथा श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज को महामंत्री चुन लिया है। इसके अलावा श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत दामोदर महाराज को उपाध्यक्ष,श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह शास्त्री को कोषाध्यक्ष, श्रीपंच दिंगबर अनी अखाड़े के श्रीमहंत रामकिशोर दास महाराज को मंत्री, श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के श्रीमहंत गौरीशकर दास महाराज को प्रवक्ता, श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज व श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वरदास महाराज को संरक्षक बनाया गया है। ज्ञात रहे कि वर्तमान अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज की प्रयागराज में मौत के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद रिक्त हो गया था। परिषद के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए  25 अक्टूबर को प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाई गयी थी। लेकिन उससे पहले ही सन्यासियों, वैष्णव, निर्मल व उदासीन संप्रदाय के 7 अखाड़ों ने मिलकर नए अध्यक्ष और महामंत्री समेत कई पदाधिकारियों का चुनाव कर लिया। बृहस्पतिवार को कनखल स्थित महानिर्वाणी अखाड़े में अखाड़ा परिषद पदाधिकारियों की घोषणा में सात अखाड़ों को छोड़कर अन्य कोई अखाड़ा सम्मिलित नहीं हुआ। जिसे अखाड़ा परिषद में दो फाड़ के नजरिए से देखा जा रहा है। अखाड़ा परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज ने पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र शास्त्री महाराज की अध्यक्षता में हुई बैठक में लोकतांत्रित सर्वसम्मति से चुनाव किया गया। सभी संत महापुरूष मिलकर राष्ट्र और धर्म रक्षा के लिए कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों के संत महापुरूष उनके लिए पूज्यनीय हैं। परंपराएं हमेशा बदलती रहती हैं। पिछले तेरह सालों से परंपरा रही है कि अखाड़ा परिषद के सर्वोच्च दों पदों में एक सन्यासियों और एक बैरागी अखाड़ों के पास रहता है। लोकतंत्र महत्वपूर्ण है और लोकतंत्र में बहुमत का महत्व है। बैठक में महानिर्वाणी,अटल,निर्मल,श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन,निर्मोही,निर्वाणी,दिंगबर,सहित सात अखाड़ों ने बहुमत से अखाड़ा परिषद पदाधिकारियों का चुनाव किया है। नवनिर्वाचित सभी पदाधिकारी मिलकर श्रीमहंत हरिगिरी सहित सभी अखाड़ों से वार्ता करेंगे और प्रयास करेंगे सभी एक साथ मिलकर चलें। अखाड़ा परिषद के नवनियुक्त महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि सभी अखाड़ों को साथ लेकर राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा व भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवद्ध्र्रन के दायित्व को पूर्ण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश दुनिया में सनातन परंपराओं को प्रचारित प्रसारित किया जाएगा। राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने के लिए सभी धर्माचार्यो को एक मंच पर लाया जाएगा। अखाड़ा परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र शास्त्री ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से हुई बैठक में अखाड़ा परिषद का चुनाव हुआ है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री समेत सभी पदाधिकारी बहुमत से चुने गए हैं। बैठक में 7 अखाड़े के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। जो अखाड़े बैठक में नहीं आए वे भी जल्द साथ आ जाएंगे।  अटल अखाड़े के श्रीमहंत सत्यम गिरी महाराज ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत करते हुए कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी महाराज, महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज व अन्य सभी पदाधिकारियों के नेतृत्व में प्रयागराज, उज्जैन व नासिक में होने वाले कुंभ मेलों को संपन्न कराया जाएगा। इस अवसर पर बाबा हठयोगी, श्रीमहंत धर्मदास, महंत गौरीशंकर दास, महंत रामकिशोर दास शास्त्री, महंत मोहनदास खाकी, महंत ईश्वरदास, महंत श्यामदास, महंत रघुवीर दास, महंत गोविंददास, महंत दामोदर दास, नागा महंत सुखदेव दास, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण सहित अखाड़ों के कई संत महंत मौजद रहे। चुनाव संपन्न होने के बाद सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने दक्ष महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया। दूसरी ओर परिषद के वर्तमान महामंत्री जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के चुनाव के लिए 25 अक्टूबर को प्रयागराज में बैठक बुलायी गयी है। 15 दिन पहले बैठक का एजेंडा भी जारी कर दिया गया। नियमों के तहत विचार विमर्श कर ही निर्णय लिया जाना चाहिए। सभी अखाड़ों को बैठक में भाग लेना चाहिए।